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सब हैं तो हम हैं / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय
Kavita Kosh से
तुम हो तो सब हैं
सब हैं तो हम हैं
हम हैं तो सब रहेंगे
सब रहेंगे तो कुछ कहेंगे
कहेंगे इसलिए कि लोग सुनेंगे
सुनेंगे इसलिए कि
उनकी आदत है कहने की
रुक नहीं सकते हैं वे
चुप रहने की जैसे
कसम खा रखी है