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सभबा बैठल तोहे बड़का बाबू, साजू सोजन बहूत हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सगुर और लग्न चढ़ चुका है। लड़का अपने पिता से अच्छे-अच्छे लोगों को बरात में ले चलने और माँ से आशीर्वाद देने का आग्रह करता है। माँ आशीर्वाद देती है, साथ ही दूध पीने को भी कहती है।

कहीं-कहीं विवाह के लिए प्रस्थान करते समय लड़के के द्वारा अपनी माँ का स्तन-पान करने की प्रथा है। संभवतः, स्तन-पान का संकेत माँ के दूध की लाज रखने की ओर है।

सभबा बैठल तोहें बड़का बाबू, साजू सोजन<ref>स्वजन</ref> बहूत हे।
लगनमा ले घर आयल, सगुनमा ले घर आयल हे॥1॥
मचिया बैठलि तोहें ऐहब<ref>सौभाग्यवती</ref> अम्माँ, देहो अम्माँ आसीक<ref>आशीर्वाद</ref> बहूत हे।
लगनवा ले घर आयल, सगुनमा ले घर आयल हे॥2॥
दूधवा घोट<ref>पी लो; निगल लो</ref> लेहो नूनू बाबू, जैनइया<ref>जाना है</ref>बाबू सिब के दुआर हे।
लगनमा ले घर आयल, सगुनमा ले घर आयल हे॥3॥
सभबा बैठल तोहें छोटका चाचा, साजू चचा सोजन बहूत हे।
लगनमा ले घर आयल, सगुनमा ले घर आयल हे॥4॥
मचिया बैठलि तोहें ऐहब चाची, देहो चाची आसीक बहूत हे।
लगनमा ले घर आयल, सगुनमा ले घर आयल हे॥5॥
तोहें नूनू बाबू हे जै जै, जैनइया बाबू हे जोगी के दुआर।
लगनमा ले घर आयल, सगुनमा ले घर आयल हे॥6॥

शब्दार्थ
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