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सभी मिट्टी हैं सोने का बना कोई नहीं होता / अशोक रावत

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सभी मिट्टी हैं सोने का बना कोई नहीं होता.
कहीं चौबीस केरेट सा खरा कोई नहीं होता.

हमारी ज़िंदगी आसान हो जाती है तब ख़ुद ही,
हमारे सोच में जब फ़ासला कोई नहीं होता.

कठिन होता है ख़ुद को तोलना अपनी तराजू में,
हमारे सामने जब दूसरा कोई नहीं होता.

सभी में कुछ न कुछ अच्छा बुरा होता ही होता है,
बुरा ही हो, कभी इतना बुरा कोई नहीं होता,

सफ़र में ज़िंदगी के मोड़ कुछ ऐसे भी आते है,
जहां से लौटने का रास्ता कोई नहीं होता.

जुदा इंसान को मजबूरियाँ यूँ कर भी देती हैं,
कभी एहसास से लेकिन जुदा कोई नहीं होता.

हवाओं से बिना उलझे हुये चुपचाप बुझ जाए,
कहीं भी जाइए, ऐसा दिया कोई नहीं होता.

वहाँ सब माफियाओं की मेहरबानी से चलता है,
जहाँ कानून है पर क़ायदा कोई नहीं होता.