इक समंदर था टपका हुआ। सारी दुनिया भिगोता हुआ। जिसको जाना था वो चल दिया, खुद भी रोता रूलाता हुआ। आँख से अब भी ओझल नहीं, क्यों पहाड़ो को धोखा हुआ। इतने भावुक नहीं थे कभी, ये अचानक हमें क्य हुआ। याद आता हौ अब भी 'विजय' प्यार वो अन-बताया हुआ।