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समझौं होतोॅ ई जिनगी काशी रं / अमरेन्द्र

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समझौं होतोॅ ई जिनगी काशी रं
माँड़ नाँखी बनै छै बासी रं
जे भी सपना हुनी दिखैलकै सब
आबी गल्ला में लागै-फाँसी रं
सुख रोॅ मालिक हुवेॅ हुवेॅ नै हुवेॅ
जिनगी अभियो छै ठाड़ी दासी रं
कोय नब्बो में लागै छौड़े रं
बीस बरसोॅ में कोय बिरासी रं
एत्तै दुख दिल में आबेॅ उपटै छै
हमरोॅ हंसियो लगै उदासी रं
अ संे अमरेन्द्र मेष राशी छेकै
फोॅल निकलै शनि के राशी रं

-5.2.92