Last modified on 21 दिसम्बर 2017, at 15:58

समय का रिवाज नहीं रहा/ राजूरंजन प्रसाद

कुछ लोग हैं जो
शब्दों को तोलते हैं
फिर मुह खोलते हैं
सामने बैठे दोस्त से
पूछा मैंने-
कुछ सुना
कहा उसने
जी, समझा
बोलना और सुनना
समय का रिवाज नहीं रहा शायद