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समय की उस स्निग्धता में / सुरेश चंद्रा
Kavita Kosh से
और जब
पूरी दुनिया में
केवल हम दो बचे
जो बाँट सकते थे
एक दूसरे से, एक दूसरे को
पूरे का पूरा
कह सकते थे
सौंपना है सब, अब
सारे का सारा
समय की उस स्निग्धता में
हमने एक होना तय कर लिया.