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समय बड़ा कातिल लगता है / अमरेन्द्र

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समय बड़ा कातिल लगता है
कैसे सबका दिल लगता है

जैसा है शासक इससे तो
गुण्डा ही काबिल लगता है

जैसे-जैसे भक्त जुटे हैं
मन्दिर भी महफिल लगता है

जिसको लोग समुन्दर कहते
मुझको वह साहिल लगता है

लोकतंत्रा में लोगों से छल
जैसे अब हासिल लगता है

जनता गेहूं, धान, चना, जौ
नेता सबका मिल लगता है।