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समय (5) / मधुप मोहता

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समय एक गांव है।
समय एक पगडंडी है, समय गुड़ की मंडी है।
समय खेतों में उगती फसल है,
खलिहानों में भरा गेहूं।
समय एक अमराई है, बरगद की छाया है,
समय ही मोह है, समय ही माया है।
समय ही चौपाल है, समय लेखपाल है।
समय चौधरी है, समय ही चौटाला।
समय आरती है, समय ही दीया है,
समय ही पीर है, समय ही फकीर है।

समय साइकिल है, समय ही सड़क है,
समय ही शह है, समय ही मात है,
समय ही बिसात हैं
समय ही शतरंज है,
समय हज़रत गंज है।
समय ही शहनाई है,
समय ही शादी है, समय ही विदाई है।
समय के चबूतरे पर आओ। मेरे साथ बैठो।
हुक़्का गुड़गुड़ाओगे ?