समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?
मेरे अजर अमर वरदानी,
कर डाली कैसी नादानी;
मिथ्या अहम् जगाने वाला
ज्ञान दे दिया, भक्ति न दोगे।
समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?
पतझड़ को बसंत देना था,
उद्गम को अनंत देना था;
बिन माँगे अनुराग दे दिया
माँगे से अनुरक्ति न दोगे।
समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?
कामधेनु थी द्वार तुम्हारे,
दाताओं ने हाथ पसारे;
पर तुमने अपने याचक को
संचय दिया, विरक्ति न दोगे।
समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?