भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
समीना ने सीखा साइकिल चलाना / लाल्टू
Kavita Kosh से
समीना ने चलना सीखा
कब की बात हो गई
समीना ने बोलना सीखा
कब की बात हो गई
समीना ने पढ़ना सीखा
कब की बात हो गई
अब समीना सरकेगी सड़क पर
साइकिल पर बैठ
दो ओर लगे सुनील शबनम
बीच बैठी समीना
पहले तो डर का सरगम
फिर धीरे धीरे आई हिम्मत
थामा स्टीयरिंग कसकर
फिर दो चार बार गिरकर
जब लगी चोट जमकर
समीना थोड़ी शर्माई
दो एक बार घंटी भी आजमाई
क्रींग क्रींग की धूम मचाई
देर सबेर पेडल घुमाया ठीक ठाक
सबने देखी समीना की साइकिल की धाक
समीना ने साइकिल चलाना सीखा
कब की बात हो गई।