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समेट वुरगुन के लिए / नाज़िम हिक़मत
Kavita Kosh से
मैं आख़िरकार तुम्हारे शहर में था
पर बहुत देर हो गई थी मुझे, समेट
हम मिल नहीं पाए एक-दूसरे से
हमारे बीच पसर चुकी थी मौत की दूरी
तुम्हारी रिकार्ड की हुई आवाज़
मैं नहीं सुनना चाहता था, समेट
मैं देख नहीं सकता था तुम मृतकों की तस्वीरें
बिना ख़ुद मरे हुए पूरी तरह
लेकिन एक दिन आएगा
जब मैं तुम्हें तुमसे पूरी तरह अलग कर लूँगा, समेट
तुम मेरी यादों की दुनिया में प्रवेश कर जाओगी
और मैं तुम्हारी क़ब्र पर फूल चढ़ाऊंगा
और मेरी आँखों में आँसू नहीं भरे होंगे
फिर एक दिन आएगा
जब मेरे साथ भी होगा वैसा ही
जो तुम्हारे साथ हुआ, समेट
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय