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सम्भावना / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

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एक छोटा-सा फूल
देवता के मस्तक पर चढ़ता है।
एक नन्हा-सा अंकुर
धरती की छाती तोड़कर
आकाश की ओर बढ़ता है।
एक किरण फूटती है
अंधकार के गर्भ से।
एक पत्थर का टुकड़ा
मंदिर में प्रतिष्ठित हो जाता है।