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सरबत सखी जमावड़ा - सरबत सखी निजाम / संजय चतुर्वेद
Kavita Kosh से
सतगुरु ढूंढे ना मिलै सखियां मिलें हज़ार
किटी पार्टी हो गया कविता का संसार
2003
रूपवाद जनवाद की एक भई पहचान
सखी सखी से मिल गयी हुआ खेल आसान
2003
कविता में तिकड़म घुसी जीवन कहाँ समाय
सखियाँ बैठीं परमपद सतगुरु दिया भगाय
2003
घन घमण्ड के झाग में लम्पट भये हसीन
खुसुर-पुसुर करते रहे बिद्या बुद्धि प्रबीन
2003
कवियों ने धोखे किये कविता में क्या खोट
कवि असत्य के साथ है ले विचार की ओट
2003