भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरबत सखी जमावड़ा - सरबत सखी निजाम / संजय चतुर्वेद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सतगुरु ढूंढे ना मिलै सखियां मिलें हज़ार
किटी पार्टी हो गया कविता का संसार
2003

रूपवाद जनवाद की एक भई पहचान
सखी सखी से मिल गयी हुआ खेल आसान
2003

कविता में तिकड़म घुसी जीवन कहाँ समाय
सखियाँ बैठीं परमपद सतगुरु दिया भगाय
2003

घन घमण्ड के झाग में लम्पट भये हसीन
खुसुर-पुसुर करते रहे बिद्या बुद्धि प्रबीन
2003
 
कवियों ने धोखे किये कविता में क्या खोट
कवि असत्य के साथ है ले विचार की ओट
2003