भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरब हारा / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जकां कनैं
कोनी
रोटी’र माचो
किंयां रै माचो
जच्योड़ो जाचो ?
नकारसी जकी व्यवस्था
मूळभूत जरूरतां
ललकारसी बीं नै
मिनख री जिजीविषा
बण ज्यासी आग में घी
दण्ड’र दमन
करसी जीवण
जीवण सारू
मरण नै वरण
जुड़ ज्यासी फेर
अधूरै इतिहास में
कीं और
ताजै लोही स्यूं सन्योड़ा पानां !