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सरयू का जल / विजय गुप्त
Kavita Kosh से
जब हम नहीं थे
तब भी था सरयू का जल
जब हम नहीं होंगे
तब भी होगा
सरयू का जल
धरती पर चित्रकारी करता
बादलों का अर्थ देता
वनस्पतियों में रंग भरता
शताब्दियों से
हमारे बीच
बह रहा है
सरयू का जल
वज़ू से पहले
आरती से पहले
अपनी घृणा धो लें
और उतरने दें
अपनी आत्मा में
सरयू का जल ।