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सर्दियों की शुरुआत / आग़ा शाहिद अली / अनिल जनविजय
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रंग हालाँकि दूर जा रहे हैं
या पीछे छूट रहे हैं
लेकिन फिर भी अभी आप
छू सकते हैं वे रंगतें, वे छवियाँ
जो जल्दी ही ग़ायब हो जाएँगी
गर्मियाँ आने तक के लिए
ठण्ड घिर आएगी
और बताएगी
कि पृथ्वी कितनी समर्पित है
मनुष्य के लिए
उसकी निष्ठा, उसका समर्पण
प्रगाढ़ है, गहन है
धरती पर जीवन की सुरक्षा के लिए
उसे सबकुछ सहन है ...।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय