सर्वहारा / धनंजय वर्मा

क्या होता है
कभी भी, कहीं भी, कोई भी पौधा
वर्ग चेतस !
कीचड़ कान्दो में पाँव रोपे
धरती बिछाए
ओढ़े आसमान
मिट्टी में मिलाकर बीज
ठेठ जड़ों से खींचता है प्राण
और उछाल देता है
हवा में
फूलों की ख़ुशबू... !

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