सलज गुलाबी गालों वाली / सुमित्रानंदन पंत

सलज गुलाबी गालों वाली
हाला मेरी चिर सहचर,
बिना मादनी का जग जीवन
बिना चाँदनी का अंबर!
वे कहते हैं विधि वर्जित है
इस जीवन में मदिरा पान!
मुझे सुलभ वह यहाँ, स्वर्ग में
पिएँ मूढ़ अपना अनुमान!

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