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सलाम अलौक / शब्द प्रकाश / धरनीदास
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आदि जो एक सो अन्तहुँ एक जपो कलिमाँ तिन एक गहो।
हिन्दु मलेछ वलेछ नहीं, कछु दोपट जो पलरायट हो॥
धर्म इमान जमात सबै, गुरु पीर पुकारि 2 रहो।
धरनी सबको समुझाइ कहै, भ! क्यों न ”सलाम-अलैक“ कहो॥12॥