सलोनी पूर्णिमा के झूलन देखल जैबै
बाँका बजरिया हे ननदो
साथ में जैतै सखी सहेली
रंग-बिरंगीॅ रोॅ पोशाकोॅ में
घुमी-घुमी केॅ ठाकुरबाड़ी
ठाकुर-दर्शन करवै हे ननदो
इंजोरिया ठहाका राती में
झमाझम घुमवै हे ननदो
घुमतेॅ-घुमतेॅ लागथै जखनी भूख
मूरी-कचरी के दूकान जैबै हे ननदो
रेचकी गिनी-गिनी केॅ देवै
होटलबाजी अबकी करवै
सिनेमौं देखवे अबकी हे ननदी
रूपा फूरैतै हवागाड़ी सें नै घुमवै
पगडंडी दैकेॅ घोॅर लौटवै हे ननदो
घरोॅ में पाई-पाई के हिसाब
सासू माँगवैं कहतै हे ननदो
अबकी तोहीं दियौ जवाब
यही सें लानलेॅ छियौं हे ननदो