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ससुरारी मेॅ / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

लाज मारी रहौं ससुरारी में
बात सबके सहौं ससुरारी में

गाँव-टोला पढ़ै देखी गारी
सात पुस्तो तलक दै छै तारी
मूय किनको लगौं ससुरारी में
बात सबके सहाैं ससुरारी मे

लोग रस्ता मे मारै छै ढाही
तीन शाली पे शाला भी दू गाही
गोड़ किनको मलौ ससुराली में
बात सबके सहौं ससुरारी में

सेंट शाली लगाबै गमकौवा
भोज लागै कहीं छै जमकौवा
बेग बड़का ढुवौं ससुरारी में
बात सबके सहौं ससुरारी में

पेट पोशा कहै छै सब लोगें
मोस मारी छियै हम्हूं लोभें
आस धरने चलौं ससुरारी में
बात सबके सहौं ससुरारी मंे।