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सहजन / विष्णुचन्द्र शर्मा

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डाल सहजन की
फूली
मन अकेला
खिले मेरा
झुका लो
तोड़ो
ज़रा झकझोर लो
हथेली में
ख़ुशी के फूल भर लो
डाल सहजन की
फूली ।

रचनाकाल : 1965