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सहरन ते जुड़िगा है / बोली बानी / जगदीश पीयूष

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सहरन ते जुड़िगा है
हमरे गाँव क्यार गलियारा
नयी रोसनी आय रही
सब गावैं लिहे चिकारा

पहिले जमीदार के चंगुल-
मा सब रहैं फँसे
अब छोटभैया ठग नेता
गाँवैंम आय बसे
जाल रचैं स्वारथ की खातिर
इनते बिधिनौ हारा

मउके पर कोरे कगदन पर
अँगुठा लगवावैं
सालुइ भीतर ई घर की
नीलामी करवावैं
भूखे मरब नीक है
इनते मिलै अगर छुटकारा

जब लौ तथा रही तब लौ
ई मददगार रहिहैं
चारिउ पहर हाजिरी तुमरे घरहेम दइ जइहैं
बिरछ लगइहैं दिन मा
अउरु राति भर चलिहैं आरा