भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सहाफ़ी / पंछी जालौनवी
Kavita Kosh से
जिन ख़बरों को सुनकर
हमारे हाथ से लुक़मा छूटा
और आँखें भर आईं
उस दर्द के तह को
खंगाल आया है
सहाफ़ी
ख़बर निकाल लाया है
जिस बात को
कहने से हम डरते थे
ताक़तवर लोगों से
आंख मिलाने की भी
जुर्रत नहीं करते थे
अपने लैब पे
बड़ी बेबाकी से
उन्हीं लोगों के लिये
सवाल लाया है
सहाफ़ी
ख़बर निकाल लाया है
सलाम
ठुकराया जिसने
ज़मीर के सौदे को
उसकी हिम्मत को सलाम
सलाम
सच्ची पक्की
सहाफ़त को सलाम॥