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सहारे / कमलकांत सक्सेना
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मेरे अधरों पर
गीत तुम्हारे हैं
सच पूछो तो
जीस्त के सहारे हैं।
जब सुधियांे के बादल लहरे
रूप तुम्हारा पल-पल छहरे
प्यासा मन सावन हरियाया
संग संग गुजरे क्षण आ ठहरे
मेरे नयनों में
अश्रु तुम्हारे हैं।
सच पूछो तो
जीस्त के सहारे हैं।
यों इठला कर केश झुलाये
नीरभरी गागर छुप जाये
फिर धीरे से दृष्टि चुराकर
मन ही मन पूनम मुस्काये
मेरे सपनों में
चित्र तुम्हारे हैं।
सच पूछो तो
जीस्त के सहारे हैं।