भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साँप / लैंग्स्टन ह्यूज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
इतनी जल्दी-जल्दी
वो सरकता है
वापस घास के बीच
सड़क की भलमनसी
मेरे लिये छोड़ते हुए,
कि मैं लगभग
शर्मिंदा होकर
पत्थर का एक टुकड़ा ढूँढ़ता हूँ
उसे मारने की ख़ातिर ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य