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साँस की किताब / नरेन्द्र दीपक
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साँस की किताब
खोजते हुए कटी उमर
साँस की किताब में मगर
प्यार का सफा नहीं मिला
यहाँ वहाँ टेरते रहे
गैल गली हेरते रहे
चुभन ला इलाज़ ही रही
फाँस हम उकेरते रहे
साँसों में गन्ध भर सकें
जिन्दगी ब्यान कर सकें
ठीक काफ़िया नहीं मिला
मंज़िलें तलाषते रहे
पाँवों में रास्ते रहे
प्यार के पड़ाव उम्र भर
इन उन के वास्ते रहे
क्षण दो क्षण चैन से जियें
अँजुरी भर चाँदनी पियें
ज्योति का सिरा नहीं मिला
यारों की मेहरबानियों
हारों की मेहरबानियों
रातें जो जागते कटी
तारों की मेहरबानियों
ऐसे ही मेहरबाँ मिले
राह में जहाँ-जहाँ मिले
कहीं क़हक़हा नहीं मिला