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साख / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
टेकदी गोडयां
गद,
पड़गी बैसक्यां
बुरजां,
गिटगी चितराम
भींतां
हुग्या सुंआं
सतखंडा मै’ल,
अठै हो कदेई
धरती रै कोई
लूंठै धणी री साख
ऊंदरा रै बिलां में लाध्योड़ी
हाथ्यां री जूनी लीद !