भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साची पोथी / राजेन्द्र देथा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देश-दुनिया रा सगळा
"लिखेरा"
अर वां री जमातां ज्यूं कै-
मिनखवाद,
जथारथवाद,
राष्ट्रवाद,
सागै ही
फलाणवाद-ढींकडवाद।

परौटेला वे जद
आपरै साहीत्
रौ ऐक टूकडौ
आप माथै ई,
ठीक ऊण दिन
आवैला निज घी ज्यूं
एक घणमूंगी पोथी
जकै रै साम्हीं नीं
टिकैला कोई दूजी पोथियां!