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साजिश / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
इस अँधेरे को
उसी की साजिश में
मात दी जाये
चुपके-चुपके
घरों की
अंधकारमय देहलीज़
यथार्थ की
रोशनाई से
रंग दी जाये।