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साथी, हमें अलग होना है / हरिवंशराय बच्चन

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साथी, हमें अलग होना है!

भार उठाते सब अपने बल,
संवेदना प्रथा है केवल,
अपने सुख-दुख के बोझे को सबको अलग-अलग ढोना है!
साथी, हमें अलग होना है!

संग क्षणिक ही तेरा-मेरा,
एक रहा कुछ दिन पथ-डेरा,
जो कुछ भी पाया है हमने, एक न एक समय खोना है!
साथी, हमें अलग होना है!

मिलकर एक गीत, आ, गा लें,
मिलकर दो-दो अश्रु बहा लें,
अलग-अलग ही अब से हमको जीवन में गाना रोना है!
साथी, हमें अलग होना है!