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साधक की तरह / पुष्पिता
Kavita Kosh से
आँखों में रखी हैं तुम्हारी तस्वीरें
मेरी आँखें तुम्हारा ही एलबम हैं।
प्रेम की आवाज गूँजती और बजती है
भीतर-ही-भीतर नए राग की तरह
रागालाप में लगी रहती है निरंतर
साधक की तरह।
धड़कनों में धड़कती हैं
तुम्हारी ही धड़कनें
साँसों में प्रणय-साधना अविचल
खजुराहो के शिल्पी की तरह
गढ़ी है एक प्रणय-प्रतिमा जीवंत
जिसे अपनी आँखों से
अनावृत्त किया है तुमने
मेरी आँखों में।