भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सामन आयौ अम्मा मेरी / ब्रजभाषा
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
सामन आयौ अम्म मेरी सुहावनो जी,
एजी कोई सब सखि झूलति बाग।1।
चन्दन पटुली अम्मा बनवाय दे री,
एजी कोई रेशम डोरि मंगाय।2।
मैं भी झूलूँ अम्मा चंपाबाग में जी,
एजी कोई जाऊँ सहेलियन साथ।3।
इतनी सुनि के बोली माता मल्हनदे जी
एजी बेटी सुनले मेरी बात।4।
आल्हा-ऊदल बेटी घर हैं नहीं जी
एजी कोई जूझि गयौ मलिखान।5।
बारौ सौ भैया तेरौ ब्रह्माजीत है जी।
ऐजी कोई कौन झुलावे बेटी मेरी आज।6।
जो सुनि पावे बेटी पृथ्वीराज है री
एजी कोई कोपि चढ़ेंगे चौहान।7।
डोला तो लै जाय बेटी तेरौ बाग तेही,
एजी कोई बिगर जाय सब बात।8।
जो घर होते बेटी आल्हा ऊदल से जी
एजी तोय देते बाग झुलाय।9।
मानि कही तो बेटी घर झूलि ले री।
एजी कोई सामन लेउ मनाय।10।