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सार / स्वरांगी साने
Kavita Kosh से
एक कदम में लाँघा
माँ का घर।
दूसरे में पहुँच गई ससुराल।
विराट होने की ज़रूरत ही नहीं रही
और उसने नाप ली दुनिया।