Last modified on 22 अक्टूबर 2019, at 22:58

साल का अन्तिम चरण है, अलविदा दो / उर्मिल सत्यभूषण

साल का अन्तिम चरण है, अलविदा दो
द्वार पर नव वर्ष आया, गुल बिछा दो

हे नदी, सागर में डूबो, पर धरा को
जाते जाते उर्वरा सा डेल्टा दो

काल कवलित होने दो सुख-चैन से अब
कांपती बूढ़ी सदी को आसरा दो

अनुभवों की झुर्रियाँ कहतीं सपूतो
थपकियां दे दे के अम्मा को सुला दो

मौत की आगोश से आलोक फूटे
ज्योति के निर्झर कवि! कुछ गान गा दो।