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सावचेत / कुंदन माली
Kavita Kosh से
अेक माँ
काल ताईं
टाबर ने सुवाती
राजा बेटा सोजा।
अेक माँ
आज ताईं
टाबर ने जगाती
बेटा प्रजा होजा।
माँ-माँ री
बात में
फरक क्यूं
आयो है ?
माँ री छोड़ो
माँ री बातां
कुण समझ
पायो है ?
माँ-माँ है
टाबर ने
जायो है।
देखती आंख्यां
धूलो नीं
खायो है।