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साहित्य में आरक्षण / पंकज चौधरी
Kavita Kosh से
अखबार के भी वही संपादक बनते हैं
गोष्ठियों की भी वही अध्यक्षता करते हैं
चैनलों पर भी वही बोलते हैं
प्रधानमंत्री के भी शिष्टमंडल में
विदेशी दौरे वही करते हैं
लाखों के भी पुरस्कार वही बटोरते हैं
वाचिक परंपरा के भी लिविंग लीजेंड वही कहलाते हैं
महान पत्रकार, महान संपादक, महान आलोचक
महान कवि, महान लेखक भी वही कहलाते हैं
और 'साहित्य में आरक्षण नहीं होता'
ये भी वही बोलते हैं।