सिंगार करीक’ / परमानंद ‘प्रेमी’
गोरी चलऽ नैं डगरिया सिंगार करीक’
मरतै आपन्है में छोड़बा कटार भोंकीक’
चाल तोरऽ मतवाली देखी झुकै फूलऽ के डाली।
रुनझुन रुनझुन घुँघरु बाजै चमकै ठोरऽ के लाली।
तिरछी मारऽ नैं नजरिया कजरार करीक’।
गोरी चलऽ नैं डगरिया सिंगार करीक’॥
गोरी-गोरी बहियाँ से सटलऽ छौं चोलिया।
रही-रही अंचरा से खेल्हौ पुरबैया॥
डऽर लागै छ’ कारऽ चुट्टी नाग देखीक’।
गोरी चलऽ नैं डगरिया सिंगार करीक’।
रात अन्हरिया लागै इंजोरिया जब’ चलै छऽ ढगरिया।
झिलमिल-झिलमिलचम चम चमकै तारा रं नजरिया॥
याद छोडै नैं छोड़बा बीमार पड़ीक’।
गोरी चलऽ नैं डगरिया सिंगार करीक’॥
कत्ते मोटर, टेक्सी, रिक्सा तोरा देखिक’ उलटै।
आँखि के मारलऽ कत्ते मजनूँ कलालि में घोलटै॥
‘प्रेमी’ तड़पऽ नैं नयना छूरी मार देखीक’।
गोरी चलऽ नैं डगरिया सिंगार करीक’॥