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सिंझ्या..! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
मत चास
दिवलो,
दाझ ज्यासी
सिंझ्या रो डील,
आ तो
इंयां ही अधघायल
पड़ग्यो भोळी रो
सूरज रै बुझतै खीरै पर पग
उपड़ग्या फाला
कैवै बां नै
संवेदण हीण मिनख
तारा !