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सित्तर / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
बै बोलै भोत है
टेलीविजन रै पड़दै ऊपर
-हिड़दै ऊपर
आपणै पड़ै ठाडो परभाव खतरनाक
कदैई कटज्यै हाथ-पैर, कदैई कटज्यै नाक!
पछै भी आ चित्रावली आपांनै पसंद है
पण अेक उदास भाखा ई कैसी
-ओ कैड़ो दंद-फंद है
बीं दिन भाखा विधवा हूसी
-बिड़दै ऊपर।