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सिर्फ़ स्त्रियाँ / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
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युद्ध के भयावह दृश्यों में
रह-रह के सुनाई पड़ते हैं विलाप

मृत्यु पर हर बार, हर कहीं
रोती हैं सिर्फ़ स्त्रियाँ