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सिर तवाई पिता छोड़ डिगरग्या, आज मां भी मरगी / मेहर सिंह

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जब ठाडा घड़ा पाप का भरग्या, मनै टुक टेर जगत का करग्या
सिर तवाई पिता छोड़ डिगरग्या, आज मां भी मरगी।टेक

सिर पै आण पड़ी करड़ाई, के थूकैंगे लोग लुगाई
आज तबीयत भाई खाटी होगी, तन में घणी उचाटी होगी
आगै रे रे माटी होगी न्यूं पक्की जरगी।

राम नै बुरी करी मेरे साथ सूकग्या रंज फिकर में गात
मात मरी जब चाला होग्या, पुंजी राख दिवाला होग्या
दुखिया का मुंह काला होग्या रो रो छाती भरगी।

दुश्मन कै घलग्या घीसा, खटका मिटग्या आग्या जीसा
पीसा पीसा लावै थी कमा कै, उन मैं तै कुछ दाम बचा कै
जननी मां मनै पढ़ा लिखा कै इस काबिल करगी।

मेरा हो लिया बोलता तंग, ईब ना रहा बसण का ढंग
मेहर सिंह उम्र का थोड़ा लखमीचन्द से पाट्या जोड़ा
करड़ाई नै लिया मरोड़ा, न्यूं तबीयत डरगी।