सिलसिला बना रहे / जॉन ऐश्बरी / असद ज़ैदी
तो किसी समय वहाँ एक औरत थी
जिसकी बन्दरगाह के नज़दीक ही दुकान थी
निशानी के बतौर ले जाने वाली छोटी मोटी चीज़ों की
उन सैलानियों के लिए जो दूर के उस द्वीप में
ज़िन्दगी का नज़ारा देखने आते थे
और वहाँ हरदम शादमानी का, जश्न का समाँ होता था
हर दावत अपने में जुदा लेकिन बहुत रंगीन
नए-नए दोस्त जिनसे सलाह ली जा सकती थी
या किया जा सकता था प्रेम कैसे अच्छे दिन थे
और हरेक इश्क़ दूसरे इश्क़ से निखरकर निकलता था
कि यह सब काव्य और वक्रता का
चमत्कारी मसाला था
और इस असुरक्षित जगह पर
बहुत कुछ दहशतनाक और गन्दा भी था
लेकिन किसी को इसकी ज़्यादा
परवाह न थी
हर घर में जश्न मनता रहता था
दुकान के इर्द-गिर्द
दोस्तों और प्रेमियों का जमघट रहता था
सरदियों में चान्दनी बरसती थी
गरमियों में तारों की छाँव
और हर कोई उस चीज़ से ख़ुश था
जो कि उसने खोज ली, पा ली थी
फिर एक दिन जहाज़ रवाना हो गया
बन्दरगाह पर ख़्वाब देखने वाले न रहे
बस, सोने वाले बच गए बदमिज़ाज, बड़े समझदार
छोटी-मोटी यादगार और निशानी के बतौर बिकने वाली चीज़ों
और आधुनिक फ़र्नीचर की इक्की-दुक्की दुकानों में झाँकते हुए
और एक बड़ा सा अन्धड़ आया और बोला
पेड़ों की चोटियों से घबराए हुए रास्तों पर बने छोटे-छोटे मकानों से
अब समय आ गया है मैं तुम सबको ले जाऊँगा
और जब जाने का समय आया
तो कोई भी दूसरे को छोड़कर जाने को राज़ी न था
उन्होंने कहा — हम सब यहाँ एक हैं
और अगर कोई गया तो बाक़ी फिर भी न जाएँगे
और हवा ने यह बात तारों से कह दी
तमाम लोग जाने को एक साथ उठे
और मुड़कर देखा उनने प्यार को
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी