मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सिहकि रहल पुरिबा भादव मास हे, भादव मास संगी पावस मास हे
एक तऽ हमर संगी पिया परदेशिया, दोसर भादव मास अन्हरिया
खेपि रहल दिन गनैत मास हे, भादव मास संगी पावस मास हे
अरजि गरजि कऽ गीत सुनाओल, कुदि-कुदि दह पर नाच देखाओल
झनकि रहल झींगुर पाबि आकाश रे, भादव मास संगी पावस मास हे
कुचरि रहल अछि कौआ अंगनमा, खनकि रहल अछि हाथ केर कंगनमा
सजलहुँ साज संगी मन दय आस रे, भादव मास संगी पावस मास हे
आओत पाहुन पूरत आस रे, घुरैत दिन संगी फागुन मास रे
जीनगीक गीत संगी आसक भास रे, भादव मास संगी पावस मास हे
भरल अन्हरिया मे छिटकय इजोरिया, सोभै छै दूतिया केर चान
छबे महीना संगी छै संताप रे, भादव मास संगी पावस मास हे
सिहकि रहल पुरिबा भादव मास हे....