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सुखी रहो, नित शान्त रहो तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग जंगला-तीन ताल)
 
सुखी रहो, नित शान्त रहो तुम, रहो नित्य आनन्द-विभोर।
बसे रहें तव हृदयदेशमें केवल प्यारे नन्द-किशोर॥
नेत्रोंके समुख भी वे ही रहें सदा सर्वत्र अबाध।
डूबे रहो उन्हींके रसमें सदा न रहे अन्य कुछ साध॥