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सुख और आनन्द / रामधारी सिंह "दिनकर"
Kavita Kosh से
(१)
जीवन उनके लिए मधुरता की उज्जवल रसधार है,
जिनकी आत्मा निष्कलंक है और किसी से प्यार है।
(२)
सुखी जीवन अधिकतर शान्त होता है।
जहाँ हलचल बढ़ी आनन्द चल देता वहाँ से।
(३)
सुख का रहस्य जानोगे क्या?
जीवन में हैं जो शूल उन्हें सह लेते हैं,
अनबिंधे कंटकों में जो जन रह लेते हैं,
सब उन्हें सुखी कहते, अब पहचानोगे क्या?
(४)
आगे के सुख की तैयारी की एक राह,
जोगो कल के हित, अगर कभी कुछ जोग सको।
पर, आज प्राप्त है जितना भी आनन्द तुम्हें,
भोगो उसको निर्द्वन्द्व जहाँ तक भोग सको।