भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर / निमाड़ी
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर
(१) पंथी रे उबा पथ के उपर,
तेरा साथी कोई ना ही
गठरी बांदी सीर पर धरी
कर चलने की सुध...
मुसाफीर...
(२) वाट-वाट बंद रे मोहरीयाँ,
हरिया देख मती भुल
चलने की तु कर ले तईयारी
रहने की सब झुट...
मुसाफीर...
(३) माता पिता सुत बन्धु जना रे,
पनघट की ये नारी
सब मिलकर ये छोड़ जायेगे
सपना के दिन चार...
मुसाफीर...
(४) कहेत कबीरा सुणो भाई साधु,
सुमरो श्रीजन हारा
राम नाम बिना मुक्ती नी होयगा
बहुत पड़ेगा मार...
मुसाफीर...___