सुणिए मजदूर किसान मैं तेरी बात कहूंगा 
तेरै दुखों की कहाणी सारी रात कहूंगा 
अठारह घण्टे करके काम तू फिर भूखा सोरया 
कर्ज लेकै कर्ज तारै और कर्ज टोहरया 
यू तेरी गैल म्हं के होरया, उत्पात कहूंगा 
तनै लूटण खातर मण्डियां म्हं ला राखे डेरे 
बोली दे कै माटी के भा दाणे बिकैं तेरै 
तेरे क्योंकर साथ लगा रहे लुटेरे घात कहूंगा 
देसी और बिदेशी दोनों सरमायेदार मिले 
ब्लैकी गुण्डेराज करणिए चोर चकार मिले 
यां चोरां तै पहरेदार मिले, कुजात कहूंगा 
लुटेरा तेरी जहां नै काट कै खाण लागरया 
तेरी नीलामी होगी, वो दिन आण लागरया 
“मुनिश्वर” जो बतारया, वो हालात कहूंगा