भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुतली जे छेलिऐ महल मँये, राजा क ओलतिआ लागल हे / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस गीत में दशरथ की रानियों के संबंध में प्रचलित कथा से भिन्न कथा की कल्पना लोक-मानस ने की है। पहली रानी से पुत्र नहीं होने पर राजा दूसरी शादी करते हैं, उस रानी से भी कोई संतान नहीं होती। उन्हें बड़ी रानी समझाती है कि इसमें तो आपके भाग्य और कर्म का दोष है, फिर हम दोनों रानियों को बाँझिन क्यों समझ रहे हैं? राजा तीसरी शादी भी करते हैं, फिर भी संतान नहीं होती। अंत में राजा ओषधि मँगवाकर देते हैं। उसके सेवन से तीनों रानियाँ गर्भवती हो जाती हैं। समय पर तीनों को पुत्र की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण बुलाये जाते हैं। उनसे बच्चों का शुभ मुहूर्त्त पूछा जाता है, साथ ही यह भी पूछ लिया जाता है कि राम और लक्ष्मण वन में कब जायेंगे?

सुतली जे छेलिऐ<ref>सोई थी थी</ref> महल मँये<ref>में</ref>, राजा क ओलतिआ<ref>सहारा लगकर; बगल में छिपकर; ओट</ref> लागल हे।
राजा हे, बिना रे होरिलवा के हबेलिया, मनहुँ न भाबै हे॥1॥
एतना बचनिया राजा सुनलन, सुनहुँ न पैलन हे।
धनि गे, करि लेबै दोसरो बिआह, होरिला भल पायब हे॥2॥
बिआह जे कैला<ref>किया</ref> राजा भले कैला, छव मास बीति गेला हे।
राजा, तोहरो करम केर दोस, दोनूँ रानी बाँझिन हे॥3॥
एतना बचनिया राजा सुनलन, सुनहुँ न पाबल हे।
रानी हे, करि लेबै तेसरो बिआह, होरिला भल पायब हे॥4॥
बिआह जे कैला राजा भले कैला, छबे मास बीति गेला हे।
राजा, तोहरो करम केर दोस, दोनू सौतिन बाँझिन हे॥5॥
कहाँ से लोढ़िया मँगाबल, कहाँ से सिलोटिया न हे।
ललना रे, कौने गाँव से बहिनी मँगाबल, औखध पीसि देथिन हे॥6॥
पहिनें जे पिअलाँ कोसिला रानी, तब कंकैया रानी हे।
ललना रे, सिल्ला धोइ पिअलन सुमितरा रानी, तीनों क सुफल भेलन हे॥7॥
कोसिला क भेलैन बबुआ रामचंदर, कंकइ क भरथ बाबू हे।
ललना रे, सुमितरा क भेलैन लखन बाबू, तीनों घर बधैया बाजे हे॥8॥
घर पिछुअरबा बाभन भैया, औरौ बाभन भैया हे।
बाभन, गुनि<ref>गणना कर दो</ref> देहो दिनमा सुदिनमाँ, कि रामजी बन कब जैहें हे, लछुमन सँगे जैहें हे॥9॥
घर पिछुअरबासे बड़ही भैया, औरो बड़ही भैया हे।
भैया, बनाइ देहो एकठो<ref>एक</ref> खटोलबा, कि होरिला सोलायब हे॥10॥

शब्दार्थ
<references/>